Sunday, July 13, 2014

सनसेट


आसमान की गोद से सूरज का गोला
अब गिरने ही वाला है
सबेरे से लादे-लादे अपनी गोद में थक गया है आसमान
सँभाले नहीं सँभलता उससे
इस गोलमटोल सूरज का भारी-भरकम शरीर

लुढकने के पहले ख़ूब मशक्कत करनी पड रही सूरज को
पूरा मुँह गोल किए लाल हुए जाता है
कस कर पकड रखा है चादर आसमान की
पर पकड ढीली कर रखी है आसमान ने
फिसलता ही चला जा रहा है वह

खरोंचता हुआ आसमान का बदन
आखिर लुढक ही गया समन्दर में

बडा शातिर है वह..
जाते जाते छोड गया आसमान पर लाल निशान
कुछ ही देर में जम जाएगा आसमान का लहू 

स्याह जब हो जाएगा ज़ख़्मों का रंग 
सो जाएगा आसमान
चाँदनी की बाँहों में..

सहलाती रहेगी चाँदनी आसमान का बदन
पूरी रात
के पौ फटे से ही बेचारे आसमान को
लादे फिरना होगा फिर से उसे
जब समन्दर डाल देगा उसकी गोदी में
गोलमटोल अलसाया सा सूरज  ..!!
  

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