यह आसमान भी एक पूरा सेठ बन गया है
भरता जा रहा है अपना गोदाम बादलों से
हवा को भी जैसे लत लग गई हो जमाखोरी की
बन कर आसमान का मुनीम
कर रही इकट्ठा बादलों को
हर दिशा से चुन चुन कर
तेजी से
और भरती जा रही तिजोरी अपने सेठ की
कोई अक्ल दे इस आसमान को
इस तरह जमाखोरी अच्छी बात नहीं
कहीं यूँ ही रक्खे-रक्खे ज़ाया न हो जाए
बादलों की बोरियाँ .
घुन लगने के पहले
खोल दे अपने गोदाम का दरवाज़ा यह धन्नासेठ आसमान
खोल दे अपने गोदाम का दरवाज़ा यह धन्नासेठ आसमान
छींट दे बादलों की बोरियों से बारिश की
बूँदों के दाने
इस सूखी धरती के होंठों पर
के लहलहा उठे प्यास से तडपती
धरती की फसल
और आ जाए मुस्कान धूप से मुरझाए
किसानों के चेहरे पर .....!!
20.7.2014
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