Monday, July 28, 2014

यह बूढा आसमान


रात भर जागता है यह बूढा आसमान
रोशनी आती है उसके कमरे से तारों की  

सबेरे सबेरे जगा देता है हमें
छींटे जब देता है मुँह पर ओस के  
फिर खडे हो जाते हैं सब बूढे बाबा को घेर
निकालता है यह अपनी झोली से कुछ न कुछ
बाँटता है फिर बराबर बराबर सभी में
धूप, हवा, पानी
चाँद और चाँदनी
बादल, बिजली, धनक
और फूलों की महक

इस बूढे आसमान ने वसीयत कर रखी है
के मिले सभी को उसके हिस्से का 
अपना अपना आसमान...!!



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