Kavitaayen
Saturday, August 27, 2011
काल
सूरज के चूल्हे को
दिन और रात की लकडियोँ से जलाता
माया की इक बडी हाँडी में
माह और मौसम की छोलनी से चलाता
काल
हमें पकाता
बस यही सत्य है .
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