Tuesday, March 17, 2015

अधूरा ख़्वाब


1.       
एक ख्वाब बचपन का
साथ चला था कुछ दूर ऊँगली थामे
बिछड गया दुनिया के मेले में
हाथ छूट गया था उसका रोज़ी-रोटी की भीड में
गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी उसकी 
एक खलिश सी छोड गया दिल में
बहुत याद आता है तनहाई में अक्सर  

साथ होता तो आज
कद उसका मुकम्मल हुआ होता..

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