Friday, March 13, 2015

रेलवे प्लैटफॉर्म



1.       

रतजगा करता है
आसनसोल का प्लैटफॉर्म

रात आधी होने को आई पर  
चहल पहल है
जो थमने का नाम ही नहीं ले रही

अभी मैं जिस ट्रेन से उतरा
एक जन-सैलाब छूटा है उस ट्रेन से
भर गया चप्पा-चप्पा प्लैटफॉर्म का उस सैलाब से

इस सैलाब के कई हिस्से होंगे
कुछ को सोख लेगी दूसरी ट्रेनें  
कुछ यहीं बह जायेंगे
मेरे दुखों की तरह   

2.       

खोँमचे वाले बेच रहे हैं पूरी-सब्जी खिडकियों से
ताबडतोड बिक रहा है डिम और बिसलेरी बोतल 
जिसे उठाया गया है रेलवे ट्रैक से ही
और भरा गया है प्लैटफॉर्म पर ही

बन आयी है ‘तिरंगा’ और गुटखा बेचने वालों की
भर मुँह पीक रख पायदान पर खडे
सफर काट देने वाले यात्रियों के बीच

इसी हुजूम के बीच दौड रहे हैं
वेटिंग रूम में, सीढियों के नीचे, 
खाली रेलवे ट्रैक पर या खोँमचे वालों के ठीक बगल से
मुस्टंडे चूहे
निडर, निर्भीक, निरापद

परिन्दों की भी बदल गई है दिनचर्या
अब ये शाम ढले नहीं सोते
आधी रात होने को आई पर 
अफरा-तफरी मची हुई है इनके बीच भी   
प्लैटफॉर्म नम्बर तीन और चार की शेड पर जगह पाने के लिए   
शोर मचाते इन परिन्दों की बीट से 
पटा पडा है प्लैटफॉर्म की जमीन

देख रहा हूँ इक तमाशा जीवन का
हंगामा सा है
हडबडी है
सफर में तो सभी हैं   
पर मुसाफिर कोई नहीं दिखता..!!  


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