Tuesday, March 17, 2015

चलो पूरा करें ख़्वाब अधूरे


2.
न जाने कैसे राह बनाते
बचते-बचाते
आ पहुँचा मेरी आँखों में
बचपन का वो भूला भटका ख़्वाब

मुझे देखते ही बोल उठा
‘ना’ ‘रोना मत’
बडी मुश्किल से मिली है पनाह तेरी आँखों में
बह न जाऊँ कहीं आँसुओं के सैलाब में
सँभाल कर रख लो मुझे
मूँद कर अपनी आँखें
के बन सकूँ हक़ीकत
तेरी पलकों की छाँव में
अभी भी देर नहीं हुई है ..!!   


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