देखा था झंझारपुर से आते वक्त
फोर लेन से गुज़रते हुए
हादसों की ज़द में बैठे हुए
सूरज को कल शाम ... राह भूल गया था वह शायद
क्षितिज से भटक कर आ गया था हाइवे पर
बिल्कुल सडक के बीचो-बीच
सुस्ताता रहा यूँ ही सडक पर
बैठे-बैठे कुछ देर
गाडियों की तेज़ रफ्तार की चपेट में आ जाता
ऐन वक्त छुप गया पेडों के
पीछे
हादसा एक
होते-होते बचा
19.03.2015
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