वेटिंग रूम में बैठा हूँ
सामने ही स्वीच बोर्ड है
मची है होड मोबाइल चार्ज
करने की
एक ही सॉकेट में दो दो
चार्जर के पैर घुसे हुए हैं
जैसे एक दूसरे के ऊपर लदे
हुए
लोग चढे रहते हैं रेल के
डब्बों में
लकडी के पार्टीशन से घिरा
हुआ है एक कमरा
जिसके बाहर टेबुल कुर्सी
लगाए
बैठा है ऊँघता हुआ एक आदमी
नींद में भी वसूल लेता है
वह दो रुपए
जो भी उस कमरे से निकलता है
उनसे
देख रहा हूँ आती जाती
ट्रेनों को
घर से चला था तो मैच चल रहा
था टीवी पर
एक मैच सा यहाँ भी चलता
मालूम हो रहा है
ट्वेंटी-ट्वेंटी का
कुल बीस ट्रेनें आती हैं
रात में आसनसोल
रनें बनाती हैं ट्रेनें
एक जाती है तो दूसरी आ जाती
है
कोई ज़ीरो पर आउट नहीं होती
अच्छे फॉर्म में हैं सभी
हर ट्रेन के बल्ले से
रनों का अम्बार निकलता है
जब उगलती है वह लोगों का
हुजूम
प्लैटफॉर्म भी थकने का नाम
नहीं लेता
गेंदे डालता रहता है
ट्रेनों को
सामने ही कोई ट्रेन रुकी है
रंगदारी वसूल रहे हैं
आरपीएफ के जवान
भीड लगी है ‘मे आई हेल्प
यू’ काउंटर पर
बडे ही मनोयोग से आरक्षण
चार्ट का अध्ययन कर रहे हैं टीटी बाबू
मालूम है अनुभवी टीटी बाबू
को कि
कितने रन पर आउट होगा बर्थ
की चाहत रखने वाला
दरभंगा का वह नौजवान
जिसकी ऊँगलियों में लगे नेल
पॉलिश और आलता से रंगे पैर
साफ बता रहे हैं कि
लौट रहा है वह पहली होली
मना कर
अपनी ससुराल से
और आरपीएफ के जवानों को भी
कि उतरेंगी कहाँ
टॉयलेट में ठूँसी कोयले की
बोरियाँ...
यह मैच जीत-हार के बिना
खत्म हो जाएगा
यह मैच ‘टाई’ होगा
फिक्स है यह मैच ..!!
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