Friday, March 13, 2015

वेटिंग रूम


वेटिंग रूम में बैठा हूँ
सामने ही स्वीच बोर्ड है
मची है होड मोबाइल चार्ज करने की 
एक ही सॉकेट में दो दो चार्जर के पैर घुसे हुए हैं
जैसे एक दूसरे के ऊपर लदे हुए
लोग चढे रहते हैं रेल के डब्बों में

लकडी के पार्टीशन से घिरा हुआ है एक कमरा
जिसके बाहर टेबुल कुर्सी लगाए
बैठा है ऊँघता हुआ एक आदमी
नींद में भी वसूल लेता है वह दो रुपए
जो भी उस कमरे से निकलता है उनसे

देख रहा हूँ आती जाती ट्रेनों को
घर से चला था तो मैच चल रहा था टीवी पर  
एक मैच सा यहाँ भी चलता मालूम हो रहा है
ट्वेंटी-ट्वेंटी का
कुल बीस ट्रेनें आती हैं रात में आसनसोल
रनें बनाती हैं ट्रेनें
एक जाती है तो दूसरी आ जाती है
कोई ज़ीरो पर आउट नहीं होती
अच्छे फॉर्म में हैं सभी
हर ट्रेन के बल्ले से  
रनों का अम्बार निकलता है
जब उगलती है वह लोगों का हुजूम 
प्लैटफॉर्म भी थकने का नाम नहीं लेता
गेंदे डालता रहता है ट्रेनों को 

सामने ही कोई ट्रेन रुकी है
रंगदारी वसूल रहे हैं आरपीएफ के जवान
भीड लगी है ‘मे आई हेल्प यू’ काउंटर पर  
बडे ही मनोयोग से आरक्षण चार्ट का अध्ययन कर रहे हैं टीटी बाबू 
मालूम है अनुभवी टीटी बाबू को कि    
कितने रन पर आउट होगा बर्थ की चाहत रखने वाला   
दरभंगा का वह नौजवान
जिसकी ऊँगलियों में लगे नेल पॉलिश और आलता से रंगे पैर
साफ बता रहे हैं कि
लौट रहा है वह पहली होली मना कर
अपनी ससुराल से
  
और आरपीएफ के जवानों को भी
कि उतरेंगी कहाँ
टॉयलेट में ठूँसी कोयले की बोरियाँ...

यह मैच जीत-हार के बिना खत्म हो जाएगा  
यह मैच ‘टाई’ होगा
फिक्स है यह मैच ..!!  
       

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