हर बदन में होती हैं दो जानें
ज़िंदा रहने के लिए
दोनों की सांसें चलना जरूरी है
एक से ज़िंदा रहता है बदन
दूसरे से समाज चलता है
एक की सांस रुकने पर
मर जाता है इंसान
दूसरी की रुकने पर
मर जाता है समाज
तब दफ्न कर देता है इंसान
अपने ही बदन में गहरे अंदर इसे
ढोता है अपना ही बदन
इस लाश को लिए हुए
गुजरे ज़माने में इस दूसरी जान
को मरने नहीं देते थे लोग
कठिन तो होता था
इसकी सांसें बचाए रखना
पर बचा ही लेते थे किसी तरह
झुकते नहीं थे
इसके मरने की सूरत में
मर जाते थे ख़ुद भी
कोई संशय नहीं होता था
रुक जाती थी सांसें स्वतः
पहली जान की भी
पश्चाताप से
वक्त के साथ कीमत घट गई इसकी
समझौता कर लिया इसने परिस्थितियों के साथ
अब मौक़ा देखकर चलती या रुकती है यह
कभी जीती तो कभी मरती है
सुविधा के हिसाब से
इसे जिंदा रखना और मारना चलता रहता है
इसके मरने से अब मातम नहीं मनाता इंसान
ख़ुद मर जाना तो दूर
इसे दफ़न करने पर
बोझ भी नहीं महसूस करता है वह
दुर्लभ प्रजाति की श्रेणी में आ गया यह
"Endangered species"
लुप्त हो सकता है यह कुछ दिनों में
इसके पहले कि भूल जाएं हम
याद कर लें इसका नाम
ज़मीर या अंतरात्मा कहते हैं इसे
इसे मारा है मैने भी अक्सर
और जीया है शान से
अभी थोड़ी जान बाक़ी थी
जो लिख सका बयान ये
#ज़मीर #अंतरात्मा #yqdidi #yqhindi
No comments:
Post a Comment