Thursday, May 23, 2024

राजनीति, धर्म और मोहब्बत

ऐसा नहीं कि मैं राजनीति या धर्म पर 
कुछ कह नहीं सकता
पर धर्म के नाम पर राजनीति हो 
या धर्म में राजनीति समा जाए
यह मैं सह नहीं सकता

धर्म व्यक्तिगत आस्था का नाम है
राजनीति का इसमें क्या काम है
यह व्यक्ति को ऊंचा उठाता है
मानवता का पाठ पढ़ाता है
परहित के साथ स्वयं का भी करता उत्कर्ष है
विषाद को खत्म कर धर्म लाता हर्ष है

राजनीति का उद्देश्य भी जनता की भलाई है 
सत्ता के शीर्ष पर बैठ खाना नहीं मलाई है
मानव कल्याण ही राजनीति का गंतव्य है
इस मायने में राजनीति और धर्म का एक ही मंतव्य है
पर दोनों के अनुयायी भटक गए हैं
मूल सिद्धांतों को छोड़ स्वार्थ में अटक गए हैं
धर्म और राजनीति दोनों बन गए व्यापार हैं
सत्ता पाने के उपकरण और हथियार हैं

केवल राजनीति को देखें तो 
इसमें बड़े पंगे हैं
इस हम्माम में सभी नंगे हैं

राजनीति और धर्म की बातों से
अक्सर बढ़ जाता विवाद है
पर मोहब्बत की बातों से आप सहमत न भी हों 
तब भी नहीं प्रतिवाद है
राजनीति और धर्म के विवाद में होती बहुत तल्खी है
मोहब्बत की बातों से मगर मिलती बहुत खुशी है

इसलिए मैं राजनीति और धर्म पर कभी कुछ नहीं लिखता
कहने और लिखने के लिए मोहब्बत ही सबसे अच्छा विषय लगता

मोहब्बत की बात करो तो मन रहता है खिला खिला
हर परिस्थिति में ख़ुशी का रुकता नहीं है सिलसिला...!!

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