नन्ही गौरैया
खूबसूरत गौरैया
उसके छोटे छोटे बच्चे
लगते थे कितने अच्छे
उसका घर परिवार
सुबह से ही लाती खर पतवार
जमा करती रोशनदान में
या पंखे के ऊपर ढक्कन में
देखते देखते बना लेती आरामदायक घोंसला
सिखाती हमें जीवन जीने की कला
बच्चे पलते थे उसके उसमें
दाना लाती या कीट पतंग
रहती हमारे ही संग
अब घर हो गए तंग
हो गए रोशनदान बन्द
गायब हो गई गौरैया हमारे घरों से
उड़ गई अन्यत्र अपने नन्हें परों से
रहता हूं मैं खौफ़ज़दा
पाकर उसे गुमशुदा
अब घर हो गया सूना
उसके बिना
कितना अच्छा लगता था
संग जीना
चींची कर हमे जगाती थी
मेहनत का पाठ पढ़ाती थी
अब कहां मिलेगा वह साथ
और जीवन का पाठ
हमारी ही कोई गलती रही होगी
रोक न पाए उनके लुप्त होने का सिलसिला
वरना यूं घर छोड़कर कोई जाता है भला
Thursday, May 23, 2024
गौरैया
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