चलो ख़्वाबों की दुनिया में चलें
आसमान की सैर करें
बादलों की ओट में लुका छिपी
खेलें
किरणों के सिरे पकड़ रस्सी
कूदें
बारिशों के छींटें मारें
बादलों ने जमा कर रखे हैं
जो पानी
उसमें छपाक छपाक तैरें
धनक पर गीले कपड़े सुखाएँ
रात होते ही आसमान की चादर ओढ़
सो जाएँ हम
ज़मीं पर
सबेरे से ही जद्दोज़हद के
आलम में
बड़ी बेचैन कटती हैं
रातें..!!
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