Saturday, March 26, 2016

ख़्वाबों की दुनिया

चलो ख़्वाबों की दुनिया में चलें
आसमान की सैर करें
बादलों की ओट में लुका छिपी खेलें
किरणों के सिरे पकड़ रस्सी कूदें
बारिशों के छींटें मारें
बादलों ने जमा कर रखे हैं जो पानी
उसमें छपाक छपाक तैरें
धनक पर गीले कपड़े सुखाएँ   
रात होते ही आसमान की चादर ओढ़ 
सो जाएँ हम

ज़मीं पर
सबेरे से ही जद्दोज़हद के आलम में
बड़ी बेचैन कटती हैं रातें..!!


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