Friday, March 25, 2016

रिश्ता मेरा


रिश्ता मेरा नाज़ुक धागा
इन धागों में पड़ी हैं गाँठें
ये धागे अब टूटे सो तब टूटे

रिश्ता मेरा कच्ची टहनी
रख कर पाँव चढ़ूँ जो ऊपर  
ये टहनी अब टूटे सो तब टूटे 

रिश्ता मेरा छोटी नैया
यह नैया मँझधार में डोले
ये नैया अब डूबे सो तब डूबे  

रिश्ता मेरा नट की रस्सी
इस रस्सी पर खेल दिखाते
पाँव मेरे अब फिसले सो तब फिसले

रिश्ता मेरा चाकू की धार
चाकू से भी तेज़ जुबाँ है 
सर मेरा अब रेते सो तब रेते 

रिश्ता मेरा आश्विन की धूप
इस गर्मी में नहीं है पानी
चमड़ी मेरी अब सूखे सो तब सूखे

रिश्ता मेरा काग़ज़ का पुर्ज़ा  
इस पुर्ज़े पर प्यार की बातें 
बूँद पड़े अब घुले सो तब घुले 

रिश्ता मेरा आदमकद शीशा  
पत्थर बीच रखा यह शीशा  
यह शीशा अब चनके सो तब चनके

रिश्ता मेरा जैसे पिंजड़ा 
इस पिंजड़े में फड़फड़ पंछी
यह पंछी अब उड़े सो तब उड़े    

(होली/24.03.2016)

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