रिश्ता मेरा नाज़ुक धागा
इन धागों में पड़ी हैं गाँठें
ये धागे अब टूटे सो तब टूटे
रिश्ता मेरा कच्ची टहनी
रख कर पाँव चढ़ूँ जो ऊपर
ये टहनी अब टूटे सो तब टूटे
रिश्ता मेरा छोटी नैया
यह नैया मँझधार में डोले
ये नैया अब डूबे सो तब डूबे
रिश्ता मेरा नट की रस्सी
इस रस्सी पर खेल दिखाते
पाँव मेरे अब फिसले सो तब
फिसले
रिश्ता मेरा चाकू की धार
चाकू से भी तेज़ जुबाँ है
सर मेरा अब रेते सो तब रेते
रिश्ता मेरा आश्विन की धूप
इस गर्मी में नहीं है पानी
चमड़ी मेरी अब सूखे सो तब
सूखे
रिश्ता मेरा काग़ज़ का पुर्ज़ा
इस पुर्ज़े पर प्यार की बातें
बूँद पड़े अब घुले सो तब घुले
रिश्ता मेरा आदमकद शीशा
पत्थर बीच रखा यह शीशा
यह शीशा अब चनके सो तब चनके
रिश्ता मेरा आदमकद शीशा
पत्थर बीच रखा यह शीशा
यह शीशा अब चनके सो तब चनके
रिश्ता मेरा जैसे पिंजड़ा
इस पिंजड़े में फड़फड़ पंछी
यह पंछी अब उड़े सो तब उड़े
(होली/24.03.2016)
No comments:
Post a Comment