Saturday, March 26, 2016

ख़्वाबों की दुनिया

चलो ख़्वाबों की दुनिया में चलें
आसमान की सैर करें
बादलों की ओट में लुका छिपी खेलें
किरणों के सिरे पकड़ रस्सी कूदें
बारिशों के छींटें मारें
बादलों ने जमा कर रखे हैं जो पानी
उसमें छपाक छपाक तैरें
धनक पर गीले कपड़े सुखाएँ   
रात होते ही आसमान की चादर ओढ़ 
सो जाएँ हम

ज़मीं पर
सबेरे से ही जद्दोज़हद के आलम में
बड़ी बेचैन कटती हैं रातें..!!


Friday, March 25, 2016

रिश्ता मेरा


रिश्ता मेरा नाज़ुक धागा
इन धागों में पड़ी हैं गाँठें
ये धागे अब टूटे सो तब टूटे

रिश्ता मेरा कच्ची टहनी
रख कर पाँव चढ़ूँ जो ऊपर  
ये टहनी अब टूटे सो तब टूटे 

रिश्ता मेरा छोटी नैया
यह नैया मँझधार में डोले
ये नैया अब डूबे सो तब डूबे  

रिश्ता मेरा नट की रस्सी
इस रस्सी पर खेल दिखाते
पाँव मेरे अब फिसले सो तब फिसले

रिश्ता मेरा चाकू की धार
चाकू से भी तेज़ जुबाँ है 
सर मेरा अब रेते सो तब रेते 

रिश्ता मेरा आश्विन की धूप
इस गर्मी में नहीं है पानी
चमड़ी मेरी अब सूखे सो तब सूखे

रिश्ता मेरा काग़ज़ का पुर्ज़ा  
इस पुर्ज़े पर प्यार की बातें 
बूँद पड़े अब घुले सो तब घुले 

रिश्ता मेरा आदमकद शीशा  
पत्थर बीच रखा यह शीशा  
यह शीशा अब चनके सो तब चनके

रिश्ता मेरा जैसे पिंजड़ा 
इस पिंजड़े में फड़फड़ पंछी
यह पंछी अब उड़े सो तब उड़े    

(होली/24.03.2016)

Monday, March 21, 2016

दिसम्बर का महीना


दिसम्बर के महीने में
बच्चों से बातें करने का एक विषय मिल जाता है
ठंढ बढ़ रही है
अपना ख़याल रखना
अलग अलग शहरों का तापमान हर रोज़ गिर रहा है
दिल्ली शीतलहर की चपेट में
लिहाफ में रहना  
वरना पिछले कुछ महीने तक
कैसे हो’,
क्या हाल है’,
खाना खाया 
कह कर
और अच्छा हूँ’,
काम कर रहा हूँ’,
भूख लगेगी तो खा ही लूँगा
सुन कर ही

फोन रखना पड़ता था...!! 

सूक्ति


कभी कभी जाने अनजाने हम ऐसा कुछ कह जाते हैं
दिल पर गहरा बोझ लिए फिर जीवन भर पछताते हैं

बत्तीस दाँतों के पहरे में भी जीभ फिसल ही जाती है 
धनुष से छूटे बाण कहाँ,  फिर वापस आ पाते हैं

कोई गलती एक बार हुई हो तो यह बात अलग है
ठोकर खा कर भी हम क्यूँ उस गलती को दोहराते हैं

हर ज़ख़्मों में सबसे गहरा ज़ख़्म है कड़वी बातों का
लाख लगाओ मरहम फिर भी दाग़ कहाँ धुल पाते हैं


बतरस


आओ बात छीलें
घनी आबादी के इस जनअरण्य में
पेड़ उगे हैं कई बातों के
आओ, किसी एक मसले का पेड़ चुन लें 
उसे उखाड़ें 
आरा मशीन पर चढ़ाएँ 
काटें,
फिर छीलें
छीलते जाएँ
थक जाएँ तो छोड़ दें
फिर चुन लें कोई नया पेड़ 
उस जंगल से
छाँटें,
उस पर रैंदा चलाएँ
छीलें,
लगे रहें हम इस रोज़गार में
अच्छा 'एंगेजमेंट' है यह 

बात कोई काठ नहीं
जो हो जाए चिकनी
आओ न..
कोई बात चुनें
छीलें...!!


(आजकल टी.वी. पर चल रहे निरर्थक मुद्दों जैसे देशभक्ति, भारत माता की जय बोलना इत्यादि पर आ रही निरंतर बहस से प्रभावित यह कविता)

Tuesday, March 8, 2016

नारी

1.
नारी तुम चेतना हो
करुणा हो, प्रेरणा हो
कल्पना हो, अल्पना हो
पूजा और अर्चना हो

वनिता हो, ममता हो,
त्याग की प्रतिमूर्ति हो
गहन सहनशीलता
यश और कीर्ति हो

जननी हो, पालक हो
सबकी संरक्षक हो,
रहस्यमयी माया हो
सौंदर्य की काया हो

घर और परिवार हो,
सुसंस्कृत समाज हो
सुंदर भविष्य और
प्रगतिशील आज हो  

ज्ञान की देवी हो,
सुख और समृद्धि हो
कुल की मर्यादा हो
सम्पदा की वृद्धि हो

जीवन-संजीवन हो,
हृदय का स्पंदन हो  
विजयी भाल पर चंदन
और अभिनंदन हो

शांति सौहार्द्र हो
उत्साह और उमंग हो
संग जो हो तुम्हारा,
जीवन सतरंग हो

रुप हो रंग हो और
गुणों की खान हो
सादगी जहाँ सुंदरता  
कवियों की बखान हो

स्वतंत्रता की परिभाषा
किंतु मर्यादा हो
सभ्यता का प्रतीक
और निडर निर्भीक हो

सौम्या हो स्नेहिल हो
प्रेम की धारा हो
स्पर्शमात्र से तुम्हारे
सुधा, जल खारा हो

गति हो प्रगति हो
रति और सुमति हो
तुमसे ही पूर्णता
और सदगति हो  

भाव हो नृत्य हो
गीत और संगीत हो
माधुर्य से ओत-प्रोत
जीवन का मीत हो

पुरुषों की साँस हो
जीने की आस हो
गृहस्थ आश्रम में ही 
योग और सन्यास हो

वंदना सम्वेदना
मान और सम्मान हो
आन हो बान हो
तुम ही तो प्राण हो


2.

(नारी का एक रूप यह  भी)
कितना उपवास रखती हो तुम
आज शनिवार है
सुंदर कांड का पाठ करोगी तुम
क्या कहा, मेरे लिए?
और वृहस्पतिवार को साईं बाबा का व्रत?
वो तो बेटे की सफलता के लिए
ठीक है, फिर रविवार को यज्ञ-हवन क्यों?
बेटी के लिए... एक पंडित ने कहा था
बहुत हो गया,
मंगल को हनुमान मंदिर जाना जरूरी है क्या ?
हाँ, निरोग काया रहे, शक्ति और भक्ति रहे इसलिए
तो बुध को गणपति क्यों
बुद्धि के लिए
फिर सोम को तो कुछ आराम करो,
शंकर को जल चढ़ाना क्यूँ
आप खुश रहें इसलिए
चलो, हटो..मैं तो खुश हूँ 
सबको उनके हाल पर छोड़ो 
अपने लिए भी कुछ जियो 

अपने लिए ही तो मैं जी रही हूँ
ये व्रत-उपवास कर रही हूँ
बच्चे और आप ही तो हैं
मेरे अपने
सिर्फ मेरे अपने..!!