Tuesday, September 13, 2011

बाबूजी और मैं


जब भी सुनता हूँ कि
औलाद को पिता से आगे निकलना चाहिए
दिल पर एक आरी सी चलती है


लोग कहते हैं कि मैं अपने पिता से आगे चल रहा हूँ

वे  पैदल चलते थे,
मेरे पास कार
उनकी आवश्यकताएँ सीमित,
मेरी चाहतें बेशुमार
उनके पास दो जोडी धोती
तो मेरी वार्ड-रोब भरी होती
उनके पास एक जोडी चप्पल और एक जोडे जूते
मेरे पास न जाने कितने होते


लोग कहते कि मैँ अपने पिता से आगे चल रहा हूँ

उनकी तनख्वाह दो हजार
मेरे शेयर मेँ इंवेस्ट
उनकी जमापूँजी हम दो भाई
मेरे कई एसेट्स
वे शनिवार हनुमान मंदिर जाते
मैँ पिक्चर या क्लब
वे चिंतन मनन करते
मैँ दोस्तों से गप-शप

लोग कहते कि मैँ अपने पिता से आगे चल रहा हूँ

उनकी तनख्वाह कम, निर्भर दस
फिर भी रहते सब संतुष्ट
मेरी तनख्वाह अधिक, निर्भर दो
फिर भी हैं सब रुष्ट



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