Saturday, February 14, 2015

मेरी वैलेंटाइन


मेरी पहली वैलेंटाइन थी इतिहास की एक छात्रा
बहुत बाद में पता चला कि उसमें प्रेम की नहीं मात्रा
पुरानी घटनाओं के साथ जोडती थी वह यादों को
अनसुनी कर दिया करती थी मेरी फरियादों को

बरसों बाद मिली जब वह तो मैंने पूछा,
याद है? पहली बार हम कब मिले थे
उसने कहा, ‘ हाँ! जब भारत पर हमले हुए थे
याद है? हम प्यार के रंग में भी रंगे थे
हाँ, जब इराक पर बम गिरे थे
अरे, छोडो भी, याद करो, हमारी धडकनें बढी थी
याद है, जब दिल्ली में भगदड मची थी
कब फैले थे हमारे प्रेम के लत्तर
कहा उसने, ‘सन उन्नीस सौ बहत्तर
धत.तेरे की... मैंने साल थोडे ही न पूछा था
मैं सुनना चाहता था, जब मैंने तुम्हें छुआ था

अहसास को तारीखों से जोडना उसकी आदत थी
उसके संग जिन्दगी के माएने शहादत थी
रिश्ते को उसने घटनाओं से जोड रखा था
इसलिए ज़िन्दगी ने उसको छोड रखा था
इतिहास की वह छात्रा खुद इतिहास बन कर रह गई
और मुझे इतिहास से कुछ सीख लेने को कह गई

फिर आई मेरी ज़िन्दगी में राजनीतिशास्त्र की इक छात्रा
राजनीति की भावना से था उसका दिल कूट कूट कर भरा
फूट डालो राज करो सिद्धांत मानती थी वह
अपना मतलब साधने की हर कला जानती थी वह
प्रेम की भावना फिर दिल के अन्दर मर गई
जब हमारे रिश्तों में भी वह राजनीति कर गई

पर जीवन का सफर यूँ ही तनहा नहीं कटता
कोई न कोई दिल में कभी आ ही बसता
आई मेरी ज़िन्दगी में फिर लक्ष्मी पिछले बरस
जिसको देखने को मेरी आँखें गई थीं तरस
पर करती हर वक्त वह धन की ही बात
मानती धन को ही जीवन की सबसे बडी सौगात 
ख़तों में भी होते पैसों का अक्सर ज़िक्र
रिश्तों की मिठास की नहीं करती कभी फिक्र
रहता था मेरा भी हाथ कुछ तंग सा
इसलिए जीवन हो गया बेरंग सा
प्यार की भावना उसमें थी नाममात्र की
हाँ, वह विद्यार्थी थी अर्थशास्त्र की

इस तरह ढूँढा किया मैंने ऐसे विषय की छात्रा
जिसने अपनी ज़िन्दगी में प्रेम भी हो कुछ पढा
सोचा किया मिल जाए रसायन शास्त्र की कोई छात्रा
जिसकी बातों मे शायद मिले रस के आयन की मात्रा

ऐसा नहीं कि यह केवल लडकियों की ही बात है
नीरसता दिखाने में अव्वल पुरुषों की भी जात है
एक लडकी जानता हूँ मैं हिन्दी जिसने है पढी
प्रकृति की खूबसूरती देखकर ही है बढी
सुहागरात में देखा उसने खिडकी के बाहर चाँद
बोली चहक कर पति से देखिए कितना सुन्दर चाँद
पति आया पास अपने चाँद को खुजलाते हुए
देख कर खिडकी के बाहर, बोला थोडा झुँझलाते हुए
भाग्यवान, इस चाँद में ऐसी कौन सी नई बात है
चाँद तो रोज़ ही निकलता रहता है हर रात में
वह बोली, ‘कभी पेडों के झुरमुट से झाँकता
तो कभी बदली में छुप जाता है;
इन अदाओं से क्या यह आपके हृदय में
प्रेम की हिलोरें पैदा नहीं कर जाता है
पति बोला, व्यर्थ की बातों में मत उलझते जाइए
खिडकी बन्द कीजिए और जल्द ही सो जाइए..!!




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