ज़िन्दगी की उदास राहों में
सहरा ही सहरा था
तेज धूप में
कुछ दूर पर ही दिखी थी तुम
तब से चला जा रहा हूँ मैं
उस चिलचिलाती धूप में
इस उम्मीद के साथ
प्यास बुझ जाए मेरी
और मिल जाओ कभी
सूखे होंठों पर
ओस की बूँद की तरह...!!
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