जयनगर से जब चलती है गंगा सागर
एक्सप्रेस
एक बाँध सा खुलता जाता है हर
स्टेशन पर
हहराता हुआ छूटता है
एक हल्फा लोगों का
उस बाँध से
गटक जाती है उस हल्फे को
अपने उदर में
चौदह डिब्बों की यह लम्बोदरा
रात भर का ठूसा हुआ
उगल देती है सियालदह स्टेशन पर
अगली सुबह
एक सूनामी सा फैलता है एक पल के लिए
फिर दौडता फिरता है तूफान
शहर के बदन में फैली
छोटी-बडी नसों में
दिन भर...!!
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