Monday, January 27, 2014

मौसम का मिजाज


इस मौसम का मूड दिन भर न जाने कितनी बार बदलता है !
आज सबेरे ही सारे शहर को ढक रखा था
कोहरे की सफेद चादर में
जब मैं ट्रेन से उतरा था !!

स्कूल की बस खड्ड में गिर न जाए कहीं
कर गया छुट्टियाँ स्कूल-कॉलेजों में
बारह बजे अचानक बदली का शॉल हटा झाँका सूरज
कोहरे की चादर तहिया कर 
रख दिया आसमान के किसी वार्डरोब में कल के लिए....

दो बजे धूप में घरों की छत पर सूखने लगे कपडे
मजिस्ट्रेट कोसने लगे उसको कि    
तीन बजते-बजते चलने लगी तेज हवाएँ
बारिश की बौछारों में फिर पडने लगे ओले भी
चार बजे ही रात का आलम था
फिर शाम से ही मुँह फुलाए करवट बदल
सो गया बिन कुछ खाए
मना कर गया कोई बत्ती न जलाए
‘माइग्रेन’ है उसको...
बत्ती आँख में चुभती है  
इस मौसम का मूड दिन भर न जाने कितनी बार बदलता है..!

  


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