2.
ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ था जैसा फिल्मों में अक्सर होता है
न ही किसी अस्पताल के मेट्रन ने डॉक्टर से पूछा था
कि वह कब अच्छा हो जाएगा...
न ही कोई डॉक्टर सर झुकाए ओ.टी. से बाहर निकला था
और न ही किसी डॉक्टर के चेहरे पर चिंता की रेखा उभरी थी
बस एक शाम एक डॉक्टर आया था
और निकाल दी थी उसने
नसों में चढते पानी की सूई
कि चलते फिरते लहू में ही
चढते पानी की रवानी है
क्यों यह पानी ज़ाया हो
जब रगों में दौडते-फिरते लहू ने
बन्द कर दिया हो चलना
और उखड गई हों साँसें उसकी
(बाबूजी की मृत्यु पर)
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