1.
चलो न एक ‘आईडी बनाएँ
अपना नाम छिपाएँ
भेजें एक दूसरे को ‘फ्रेंड रिक्वेस्ट’
’फेसबुक’ पर
फिर खूब करें हम
प्रेम की बातें
तुम्हारे दिल में भी तो दबी होंगी
सदियों पुरानी छटपटाहट
कि कोई तो हो
रख दें जिसके सामने अपना दिल खोलकर
आओ तोड दें हम
वर्जनाओं की ज़जीरें
एक ‘क्लिक’ के साथ
और देखें एक दूसरे का ‘टाइमलाइन’
के इतने दिनों में कितना बदल चुके हम
अभी भी वैसे ही ‘ग्लो’ करती हो तुम
या सिलवटें पडने लगी हैं चेहरे पर
तुम्हें भी तो ख़्वाहिशें होंगी जानने की कुछ
वक्त के थपेडों में वक्त के पहले ही
सफेदी आ चुकी कब की बालों में
नज़दीक का चश्मा भी चढ गया है आँखों पर
हमें कहाँ कभी भी किसी ने सुना,
पहले बाप-दादा, अब बच्चों की सुन रहे हम
आओ सुनाएँ एक-दूसरे को दिल की बातें
पूरा करें साथ दरिया के किनारे बैठकर
'सनसेट' देखने का तसव्वुर
‘मज़ा आता अगर बीती हुई बातों का अफसाना
कहीं से तुम बयाँ करते, कहीं से हम बयाँ करते’
आओ न ...
एक आई डी बनाएँ...!!
2.
क्यों चौंक रही हो तुम,
मेरे फेसबुक में नौ सौ बत्तीस ‘फ्रेंड्स’ देखकर
इनमें चार सौ पचपन लडकियाँ हैं इसलिए?
अरे नहीं... ये सब तो यूँ ही मुझसे जुडी हैं
जैसे औरों से भी जुडी होंगी
ये सब झूठे हैं
शायद नाम भी झूठे हों
और तस्वीर भी किसी और की लगा ली हो शायद...
मैं भी कहाँ सच्चा हूँ
क्या नहीं हो सकता है कम्प्यूटर में ?
तुम भी जुड जाओ न मुझसे ‘करीना’ बनकर
मैं भी ‘सैफ’ की तस्वीर ‘कॉपी’ और ‘पेस्ट’ कर दूँगा
अपनी जगह
फिर तलाशेंगे एक दूसरे में सच्चे दोस्त की तस्वीर
रोज़ाना
देर रात तक ‘इंटरनेट’ खोल कर
3.
कितना अच्छा लगेगा जब
मेरी डाली हुई ‘सनसेट’ या चिडिया या किसी फूल की तस्वीर को
‘लाइक’ करोगी तुम
या किसी लिखी हुई किसी साधारण सी बात पर भी
'कमेंट’ में लिखोगी ‘सुपर्ब’ या ‘2गुड’
कहाँ कोई किसी की तारीफ करता है मुँह पर
और पीठ पीछे तो रवायत ही है शिकायत की
भला हो ‘ज़ुकरबर्ग’ का
जो है सामने है
पता है?
अब मौत की ख़बरें देने पर भी
आने लगे हैं मित्रों के ‘लाइक’
अम्मा की मौत की ख़बर डाली थी ‘फेसबुक’ में
कुल बत्तीस ‘लाइक’ आए थे
कहाँ मिलते हैं अब काँधे अर्थी उठाने वास्ते
या सर रख कर रोने के लिए
‘लाइक’ और ‘कमेंट की संख्या गिन
ख़ुश हो लेना ही काफी है
कि शरीक हैं इतने लोग
मातमपुर्सी में....!!