Monday, January 19, 2015

जाडे का मौसम



लो फिर जाडे का मौसम दबे पाँव आने लगा
हर सुबह फिज़ाँ में कोहरा भी है छाने लगा

फिर ठंढ से ठिठुरेंगे लोग अपने गाँव में
मोज़े तो क्या चप्पल भी न होंगे पाँव में

फिर रातें कटेंगी उनकी अलाव तापते
और दिन गुजारेंगे वे ठंढ से काँपते

फटे कपडों में उनके दिन तो गुज़र जायेंगे
पर रात में ठंढ से शायद कुछ मर जायेंगे

जुम्मन मियाँ का बक़रा स्वेटर पहन इतरायेगा
मिस जूली का टॉमी भी गर्म कपडों में सुकूँ पायेगा

फिर बूढी अम्मा खाँस-खाँस कर रातों को जगाएगी
पिछले बरस तो बच गई पर इस बार गुज़र जाएगी

फिर ख़बरें शीतलहरी की छपेंगी हर अख़बारों में
ऐ ख़ुदा, ज़िन्दगी बक्श दे अम्मा की इन जाडों में

30.11.2014

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