शब्द मरहम सा होता है
कभी बरहम भी करता है
शब्द से त्राण मिलता है
कभी यह बाण होता है
शब्द को मंत्र कहते हैं
कभी षडयंत्र होता है
शब्द को ब्रह्म कहते हैं
कभी यह भ्रम भी होता है
शब्द फूल जैसे हों
पर अक्सर शूल होता है
शब्द शीतल भी करता है
आग में घी भी होता है
प्रेम में मौन रहता है
बोलना फिर गौण होता है
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