सरकती मिलेंगी कारें, यह सोचा नहीं था
भयंकर मिलेगा जाम, यह सोचा नहीं था
बडी उम्मीद से निकला था जल्दी घर पहुँचने को
सुबह से हो जाएगी रात, यह सोचा नहीं था
सडक पर भागते फिरते लोगों के किस्से पुराने
हैं
यहाँ ठहरी मिलेगी ज़िंदगी, यह सोचा नहीं था
घंटों के सफर के बाद जब हम बीच तक पहुँचे
हुआ उस पार फिर से दूर, यह सोचा नहीं था
उबासी ले ले के जब थक गया मेरा चेहरा
बुझेगी आखिरी किरण उम्मीद की, यह सोचा नहीं था
बचा आधा भी होगा कभी पूरा, जब सोच में आया
दिखेगी उस पार की बस्ती, यह सोचा नहीं था
हमारी दिनभर की जद्दोज़हद से बेखबर हो कर
मकाँ के सब मकीम सोए मिलेंगे, यह सोचा नहीं था
आधी रात को जब मैं थका हारा जो घर पहुँचा
माँ के हाथ का खाना मिलेगा, यह सोचा नहीं था
No comments:
Post a Comment