ट्रेन चलती रही सारी
रात
तुम बहुत याद आए सारी
रात
धड-धड धडड घूमते रहे
पहिए
दिल धडकता रहा सारी
रात
खिडकी वाली बर्थ पर
सामने
बतियाते रहे दो जवाँ
सारी रात
सुन लेता जो उनकी
बातें कभी
मैं लजाता रहा सारी
रात
करवटें मैं बदलता
रहा
नींद आई नहीं सारी रात
ट्रेन में नींद आती कहाँ
बत्ती आँखों पर जली सारी
रात
ले ना जाए कोई जूते
कहीं
कनखियाता रहा सारी
रात
कल से होगी फिर वही ज़िंदगी
सोचते कट गई सारी
रात
ज़िंदगी का ये सफर है
अजब
मैं न सोया कभी सारी
रात
30.10.2015
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