Wednesday, May 23, 2012

तुम्हारे लिए, सुधा


ज़िन्दगी के सफर में
हम इतनी दूर तक आ पहुँचे
कई लमहे, खट्टी-मीठी यादें
भागते पेड और बिजली के खम्भों
की तरह पीछे छूट गए
पर कुछ यादें उन सितारों की तरह
जहाँ भी जाउँ साथ ही चलते हैं
और मुझसे कहते हैं
कि अब यह सफर
तन्हा नहीं कटता

ढूँढा करता है दिल मेरा
हर छोटी-मोटी चीजों के लिए तुम्हें
टूथ-ब्रश में पेस्ट लगाने से लेकर
नहाने जाते वक्त तौलिए और कपडे देने
और फिर ऑफिस जाते वक्त लंच देने से लेकर
रात सोने के पहले बिस्तर में मसहरी लगाने तक...
मेरे ख़याल करने की
तुम्हारी इन्हीं आदतों ने
हर वक्त तुम्हें
मेरी निगाह में महफूज़ रखा है

सुबह की चाय
ड्राइंग रूम में सोफे पर
साथ बैठ कर पीने
और ऑफिस से घर वापस आने पर
तुम्हें पास बिठाकर
गुफ्तगू करने की ख़्वाहिशों ने
हमेशा ही तुम्हे मेरे हमराह रखा है

तुम्हारे जन्मदिन पर
यही दुआ है कि
तुम जीती रहो
मेरे सफर के अंतिम पडाव तक
बन कर मेरी हमराह
फिर से हमारा हो साथ
कि कट जाए बाकी दिन
लिए एक दूजे का हाथ !!

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