1
पाँव में जंजीर
बंधे हुए हाथ
दीवार की तरफ मुँह कर
खडा किया गया था मुझे
उसके हाथ के कोडे
मेरी पीठ पर बरसने ही वाले थे
कि अखबार वाले ने घंटी बजाई
आँखें खुलीं
राहत मिली
कैद ,जंजीर, बंधन, कोडे
हकीकत नहीं
एक सपना था
2
एक महल
संगमरमर की फर्श
उच्च सिंहासन पर बैठा हुआ मैं
बिल्कुल एक राजा की तरह
सामने सजा दरबार
बाहर घोडे जुते रथ
हाथ बाँधे खडे लोग
हुक्म उदूली के लिए तत्पर
तभी...
कांताबाई के लडके ने आवाज दी
”आज माँ काम पर नहीं आएगी”
नींद टूटी
किस्मत फूटी
दुख हुआ
झाडू-पोंछा, चौका-बर्तन
खुद करना होगा
नौकर-चाकर
महल-सिंहासन,
गाडी-घोडा
नर्म बिछावन,
भी हकीकत नहीं
सब सपना था
3
सपने में दिखती है जो कज़ा
सबेरे होती है एक खूबसूरत फिज़ा
रात सपने में मिलती है जो बहार
आँखें खुलने पर होता है गुबार
कैदी होना था जब सपना
राजा होना भी तो है सपना
गुलामी जब था इक सपना
तो आजादी भी है इक सपना
मान सपना अपमान भी सपना
नाम सपना बदनाम भी सपना
सुख सपना तो दुख भी सपना
नहीं कहीं कुछ भी है अपना
जो कुछ भी लगता है अपना
सब है इक छोटा सा सपना
आँखें खोल दिखे सब अपना
आँखें बन्द करूँ तो सपना
4
सूरज सपना चंदा सपना
धरती नवग्रह तारे सपना
दिन सपना तो रात भी सपना
कडी धूप बरसात भी सपना
बादल धूप हवाएँ सपना
तितली फूल घटाएँ सपना
पानी सपना मौसम सपना
सागर की लहरें भी सपना
सृष्टि सपना वृष्टि सपना
जनम मरण का बन्धन सपना
तुमसे जब मिलना है सपना
तो फिर बिछडना भी इक सपना
रिश्ते-नाते भी जब सपना
तो क्या कुछ कहने को अपना
तुम कहते हो सपना अपना
पर सपना भी है एक सपना
तुमसे मेरा नाता तबतक
बस इक पल का पलक झपकना
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