मैक्स अस्पताल का कमरा नम्बर पचीस सौ इक्कीस
बत्ती की पीली रौशनी के नीचे
बिस्तर पर लेटी हुई वह चुपचाप
स्टैण्ड पर टँगी बोतलों से
बूँद-बूँद टपकते पानी को देखती है
और करती है महसूस
रगों में सूईयों के जरिए दौडती दवाइयाँ
न जाने कितने ज़ख़्मों को सहेजे थी वह अपने अन्दर
कुछ ने पत्थरों की शक्ल ले लिए थे
गॉल ब्लैडर में
कुछ ने कर दी थी तेज
दिल के धडकने की रफ्तार
कुछ ने ज़ुबान की शीरी
घोल दी थी ख़ून में
कितनी अजीब बात कि
चीनी ज़ुबान में हो तो अच्छा
खून में हो तो जानलेवा
यूटेरस में कैंसर के ख़तरे से भयाकुल
औरत होने की सज़ा भोग रही है वह
पर तसल्ली है कि
रग-रग में बह रहा है पानी
और कतरा-कतरा पिघलता जा रहा है जख़्म
- 18.02.2012
बत्ती की पीली रौशनी के नीचे
बिस्तर पर लेटी हुई वह चुपचाप
स्टैण्ड पर टँगी बोतलों से
बूँद-बूँद टपकते पानी को देखती है
और करती है महसूस
रगों में सूईयों के जरिए दौडती दवाइयाँ
न जाने कितने ज़ख़्मों को सहेजे थी वह अपने अन्दर
कुछ ने पत्थरों की शक्ल ले लिए थे
गॉल ब्लैडर में
कुछ ने कर दी थी तेज
दिल के धडकने की रफ्तार
कुछ ने ज़ुबान की शीरी
घोल दी थी ख़ून में
कितनी अजीब बात कि
चीनी ज़ुबान में हो तो अच्छा
खून में हो तो जानलेवा
यूटेरस में कैंसर के ख़तरे से भयाकुल
औरत होने की सज़ा भोग रही है वह
पर तसल्ली है कि
रग-रग में बह रहा है पानी
और कतरा-कतरा पिघलता जा रहा है जख़्म
- 18.02.2012
1 comment:
God bless her...
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