कल रात चाँद उतर आया था
मेरे कमरे में
रोशनदान से
सोते वक्त जब करवट बदली थी मैंने
तो चौंक पडा था मैं
नीचे, टाइल्स बिछी फर्श पर
अर्श से उतर कर बैठा था चाँद
छोटी जगह है यह
शहरी आबो-हवा से दूर
यहाँ पहचानते हैं लोग मुझे
अदब से पेश आते हैं मुझसे
अब चाँद-सितारे भी लग गए हैं
ख़ैर-मकदम में मेरे
18.12.2013