Friday, December 13, 2013

मधुबनी

मधुबनी

1. 
न ऊँची दूकान,
न फीका पकवान
लोगों के मुँह में पान
माछ और मखान

मन्दिरों के घंटे
मस्जिदों के अजान
मौलवी की तकरीरें
पंडितों के व्याख्यान

गलियाँ ही गलियाँ
गलियों में बहते नाले
फैले कचरे, अवरूद्ध बहान
एक दूसरे से सटे मकान
घूमते सूअर, साँढ और श्वान

फिर भी कहते हैं सुजान
है इसकी एक अलग पहचान  
प्राचीन संस्कृति और वैदिक ज्ञान
की अब तक खोई न शान  
सौराठ सभा, मधुबनी पेंटिंग
गूँजे चहुँ ओर विद्यापति गान
है धन्य नगर मधुबनी महान


2.

पाँच सौ पचहत्तर गलियों का यह शहर
ओढे हुए है अभी भी गाँव का दुशाला  
डरता है शहर की आबो-हवा से
और शहर में तब्दील होने से  

गलियों से बाहर निकलते ही
शुरु हो जाता है
गाँव का विस्तार
जलकुम्भी, सिंघाडा या मखाना के  
पोखर और तालाब

दूर दूर तक खेत ही खेत
कुश के लहलहाते पौधे
आमों का जंगल
बाँसों का झुरमुट
अक्सर दिख जाता
दूर दिशा से आए
खेतों में उतरे पक्षी
या उडते बगुले एकजुट  
माथे पर झापी उठाए
या अपनी झोपडी को गोबर से लीपते
या दीवारों पर बेल-बूटा बनाती  
माता जानकी की याद दिलाती
गाँव की महिलाएँ
इस शहर का नाम है मधुबनी

आओ इसे शहर का जामा पहनाएँ
क्यों न इसे हनीबनी कह कर बुलाएँ  






28.11.2013  

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