Sunday, February 5, 2017

आशा और माँ का जन्मदिन और सौम्या का रिंग सेरेमनी 27.02.2017

आशा....
दो अक्षर का तुम्हारा नाम...
पूरी कायनात को बाँहों में भर लेने की
इच्छा-शक्ति समाहित है इस शब्द में
जिस स्नेह के धागे से तुमने मुझे जोड़ा है
उस रिश्ते को क्या नाम दूँ मैं
बहन, पुत्री, सखी या माँ...
इन शब्दों से परे
एक रुहानी और सात्विक रिश्ता भी होता है सृष्टि में
मैंने देखा नहीं है तुम्हें...ना ही कभी मिला हूँ
आज की डिजिटल दुनिया में
व्हाट्सएप पर जब भी तुम्हारी तस्वीर उभरी है
एक हँसता, खिलखिलाता, उम्मीदों से भरा अक्स ही
मेरी आँखों के सामने उभरा है
अब मैं जब अपनी दूसरी पारी
अच्छे से खेलने की तैयारी में कमर कस रहा हूँ
तो तुम्हारा यही चेहरा मेरे बुझे हौसलों में नई ताकत भर रहा है
आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैं यही शुभकामना देता हूँ
कि भूले से भी शिकन ना आए चेहरे पर
खिलखिलाती रहो, मुस्कुराती रहो
गीत खुशियों के गाती रहो..
खुश होगी जानकर
आज जन्मदिन है मेरी माँ का भी....
और एक राज़ की बात कि
आज ही मेरी बिटिया ने अपने जीवन साथी की ऊंगलियों को थामा है
एक दूसरे को अंगूठी दे कर ...