जब भी तुम कहती हो कि
कुदरत से मिलते हैं हमे बस
तीन ही मौके
मै ख़्यालों में डूब जाता
हूँ उदास होके
तुमने कहा था इतिहास के
पन्ने उलट के देखो
जो सफल नही हुए हैं तीन मौकों
में
ज़िंदगी की दौड से निकल जाते
हैं बाहर
मुझे भी मिले थे तीन मौके
इजहार करने के लिए अपने दिल
की बात
जब पहली बार मिली थी तुम
देर तक खामोशी छाई रही
माहौल में
और यूँ ही उठ कर चल दिए थे
हम
फिर उस दिन सिनेमा हॉल के
पीछे
कार पार्किंग मे अचानक ही
भेंट हुई थी तुमसे
जब ठीक तुम्हारी कार की बगल
मे
अनजाने ही अपनी कार पार्क
कर दी थी मैंने
इस संयोग पर भी मेरे होंठ
सिले ही रहे
घर जाने के वक्त पेडों की
झुरमुट से झाँकते चाँद को देखकर
तुमने पूछा भी था,
‘क्या पूरनमासी है, तभी तो पूरे चाँद की रात है’
और मैंने तवज्जो नहीं दी थी
मुझे पश्चाताप है अपनी
चुप्पी का, अपनी बेरुख़ी का
मुझे दुख है अपने गँवाए हुए
इन मौको का
पर क्या तुम्हें ऐसा नहीं
लगता कि
यह महज संयोग नहीं बल्कि है
किस्मत का कोई लेखा जोखा
जो बार बार मै उन्हीं
रास्तों से गुजरता हूँ
जहाँ से राहें तुम तक
पहुँचती हैं
फिर क्यों ना मैं लगा रहूँ
अपने प्रयासों में
गर छोड दूँ मैं कोशिशें तुम्हारे
इतिहास के गवाहों से
फिर किंग ब्रुस की कहानी का
क्या होगा
जिसने पाई सफलता सातवीं बार
में
जब देखा मकडे को उसने
गिरते और उठते बार-बार
इक जाल बुनने में
एडीसन ने भी गर तीन बार में
ही हार मान ली होती
तो राते रौशन नहीं होतीं
हमारी बल्बों से
अब देखो न...
परीक्षाओं में भी मिलने लगे
हैं पाँच-छ: मौके
मुझे भी दे दो एक और मौका
के खोल सकूँ सारी गिरहें
अपने दिल की
हाँ, यह अलग बात है कि
कई प्रयासों के बाद जब मैं तुमसे मिलूँ
बदल जायेंगे कुछ माएने ज़िंदगी के
बहुत मुमकिन है
तब हो जाए बेमानी
बातें जिस्मानी …!!
बातें जिस्मानी …!!